क्या उनकी सोच, उनकी मानसिकता को बदलना नहीं चाहिए! और ये, घर की महिलाएँ ही चाहे तो, बदल सकती है! एक माँ अपने पुत्र में ऎसी भावना व व्यवहार को देखते ही समझाए, रोके! एक बहिन अपने भाई को ग़लत दिशा में मुड़ते देखते ही रोके, स्वयं के साथ भाई बुरा व्यवहार करता है अप शब्द का प्रयोग करता है हाथ उठाता है तो दृढ़ता से रोके, सामना करे, न कि डर कर या सहम कर उसे बढ़ावा दे!... क्योंकि बहिन का स्नेह उसे अवश्य सोचने समझने पर मजबूर करेगा! अपनी भाभी के प्रति भाई का व्यवहार व दृष्टिकोण अपमान जनक देखे तो भी उसे रोके! एक पुत्री अपने पिता को माँ के साथ दुर्व्यवहार करता देखे तो प्यार से रोके, पिता रुकेगा! जब एक परिवार में ये सब सुधरेगा तो अवश्यमेव सभी परिवारों में और अंततः समाज में सुधार आएगा! जब हर पिता, पुत्र, भाई सही सोचेगा तो बाहर निकलने पर किसी भी बालिका, युवती और महिला को देखने पर उनके मन में गलत भावनाएँ पैदा नहीं होंगी! #मर्दानी #2#30. 05.20