तूफान के हालात है ना किसी सफर में रहो.. पंछियों से गुज़ारिश है अपने शहर में रहो.. ईद के चांद हो अपने ही घर वालो के लिए.. ये उनकी खुशकिस्मती है कि उनकी नजर में रहो.. माना बंजारों की तरह घूमे हो डगर डगर.. वक्त का तकाजा है अपने शहर में ही रहो... तुमने खाक छानी है हर गली वयावसायिकता की... थोड़े दिन की ही तो बात है अपने घर में रहो.. "अंकित पटेल" #poetry #indiafightagainstcorona