वंश मौर थम नहीं रहा ; आगे बढ़ने का ;दौर लगा रहे सब ;अपना पूरा पूरा जोर जो निकल चुके आगे उनको पीछे छोड़ आ रही आवाजे ; वंश मौर वंश मौर कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद वंश मौर.....कीर्तिप्रद