अपने अंतर्मन से ही, अपना 'आधार' कह देती हूं, रोकर जब मुस्कुराती हूं, अपना 'अभि' गले लगा लेती हूं, बुनती हूं कुछ तीखे, चटपटे किस्से, 'प्रवीण' से बतिया लेती हूं, हां ख़ुश हूं मैं एक गृहिणी हूं, ' तूलिका 'से सबको रंगीन बना देती हूं।। #गृहिणी #मेरापरिवार #डायरीकेपन्नोंसे #तूलिका