आशिक़ी का तजुर्बा हैं जो अब पन्नो पे आते हैं हम हमीं से बे-खबर,आज खुद में तुमको पाते हैं इश्क़ तेरे मेरे दिल में आशियाँ बनाए बैठा हैं यहाँ यूँ ही नहीं प्यार का खुदा यहाँ हमको इतना भाते हैं आशिक़ी में कोई जो पूछे,पाया हैं क्या खोया हैं क्या हम आज भी उनको जिंदगी,उनको खुदा बताते हैं गंगा की पवित्र धारा हैं प्यार,सबका नहीं करती उद्धार सदियों तक अमर कहानी बस आशिक़ लिख जाते हैं #आशिक़ी#ख़्याल#दिल#हिंदी