महसूस करती हूँ तेरी मौजूदगी को मैं तुझसे दूर मैं अब ना रहना चाहूँ। मेरे दिल की हर धड़कन में बसता है तू अपने जज़्बातों से तुझे मैं छूना चाहूँ। इंतजार है तुम्हारा नहीं जानती मैं कि मेरी ज़िंदगी का इतना अहम हिस्सा कैसे बन गए हो तुम। पहले भी तो जीती ही थी मैं। शायद वो जीना नहीं था। सिर्फ़ ज़िंदा रहने को तो जीना नहीं कहते। सिर्फ़ साँसों का आना जाना ही तो जीवन नहीं। जब तुझसे मिली मैं पहली बार, लगा मुझे कुछ तो है हमारे दरमियां। तुम्हारे प्यार को करीब से महसूस किया मैंने। ज़िंदगी यकायक से खूबसूरत लगने लगी मुझे। जीने की आस जो छोड़ चुकी थी मैं, फ़िर से जीने का मन करने लगा। उस कुछ ही समय में भरपूर जी ली मैं। पूरी ज़िंदगी तुम्हारे साथ जीने की भी सोच ली मैंने। अब जब तुम साथ नहीं मेरे, फ़िर भी महसूस करती हूँ तुम्हें मैं हर पल। उन खूबसूरत यादों के सहारे ज़िन्दा हूँ मैं। अकेली हूँ लेकिन अकेली नहीं भी। लगता है मुझे की तुम मुझमें ही कहीं हो। दूर नहीं हो तुम मुझसे, मेरे आस-पास ही हो। तुम्हारी मौजूदगी को महसूस करती हूँ मैं। जब भी मिलना चाहती हूँ तुमसे, बस दिल में अपने मैं झाँक लेती हूँ और तुमको खुद के सामने पाती हूँ। तुम्हारे प्यार का ऐसा चढ़ा है मुझपर जादू कि हर पल मैं मुस्कुराती रहती हूँ। जिंदगी खूबसूरत हो गई है मेरी। इंतज़ार है तो बस अब तुम्हारा। कब तुम आओ और सदा के लिए मुझे अपनाओ। उसी एक पल के लिए अब जी रहे हैं हम। ●• जीएटीसी क्रिएटिविटी ५ •●