*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“3/12/2021”*📚 🖋️*“शुक्रवार”* 🌟 “बचपन” से लेकर अब तक आपका जो “भोजन” रहा है, जो आपका “आहार” रहा है, उसी के अनुसार आज आपका “शरीर” है, ये “भोजन” अत्यंत आवश्यक है इसलिए इसके हरएक “अंग” को समझना आवश्यक है, पहला अंग कि हम क्या “गृहण” कर रहे है ? ये “भोजन” आ किस स्थान से रहा है ? दूसरा अंग कि ये “भोजन” बना कौन रहा है ? “भोजन” तब श्रेष्ठ होता है जब वो “माता के हाथ” से बना हुआ होता है किंतु यदि “माता” के हाथ का “भोजन” आपको प्राप्त न भी हो, तो उस “व्यक्ति” को “भोजन” बनाना चाहिए जो “सार्थक” हो, तीसरा अंग कि किस “स्थान” पर आप भोजन कर रहे है ? जिस स्थान पर आप भोजन कर रहे है वो “सात्विक” होना चाहिए,वो अत्यंत आवश्यक है, और चौथा और सबसे महत्वपूर्ण अंग ये “भोजन” जो आप कर रहे है अर्थात वो जहां से आपको प्राप्त हो रहा है जिस “किसान” से आपके प्राप्त हुआ है, जिस स्थान पर बैठकर आप “भोजन” कर रहे है, उसका “आभार व्यक्त” किजिए और “भोजन पूर्ण” रूप से समाप्त किजिए तभी ये “भोजन” आपको “सुखी जीवन” देगा, “स्वस्थ शरीर” देगा और ये “मन” सदैव “प्रसन्न” भी अवश्य रहेगा... *✍🏻“अतुल शर्मा* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“3/12/2021”*📚 🖋️ *“शुक्रवार”* 🌟 *#“बचपन”* *#“भोजन”*