पक्षपात ये शूरवीर की भाषा है समय कठिन , पर कुछ आशा है कोई आँख दिखाए, ये मंज़ूर नहीं अब राहे मंजिल से दूर नहीं शेर गर्जना दिखलाओ दूध छठी का याद दिलाओ पक्षपात करता है कौन देखते , कौन यहाँ रहता है मौन सच्चाई छिपती न अब 56 इन्च के सीने में श्रृंगार कहूँ करूण कहूँ या वीर छिपा हो सीने में धमकी कोई ऐटम की दे ,तो खून फड़कने लगता है ज्वालामुखी के लावा सा क्षत्रिय भड़कने लगता है समय गुजारे मांद मे जो, मैं कोई बूढ़ा शेर नहीं राजनीति हो लाशो पर ,ये देश मेरा कमज़ोर नहीं धर्म ज्ञान की भाषा से न कोई पड़ोसी समझेगा यद्यपि हम सम्मान करेंगे उल्टा हमसे उलझेगा खत्म अब करो वार्तालाप ,खत्म करो वाणी का शोर दिखलादो, मोदी योगी जी, कि भारत मे ज़िन्दा हैं शेर ©writar ShivendraSinghsonu राष्ट्र प्रेम #WForWriters