टूटे चन्द लम्हो में, वो कायनात को पाना चाहते है। अस्तित्व की लड़ाई में उलझाकर, वो मेरे वतन पे अधिकार चाहते है। जो बे-तन नीति उन्होंने अपनाई है की एक तरफ... विद्यासागर सुख गया, बेग़री ने नाता जोड़ा है रत्नगिरी के पथ पे, विद्या-स्तक के आंदोलन को इन सत्ता के जालसाजों ने खदेड़ा है टूटे चन्द लम्हो में उन्होंने जो अपनापन अपनाया है, मेरे तन की धमनियों को जिस निजतत्व से छुपाया है देख यह नीति चाणक्य भी शर्माया, चाणक्य भी शर्माया टूटे चन्द लम्हो में, वो कायनात को पाना चाहते है। अस्तित्व की लड़ाई में उलझाकर, वो मेरे वतन पे अधिकार चाहते है। जो बे-तन नीति उन्होंने अपनाई है की एक तरफ... विद्यासागर सुख गया, बेग़री ने नाता जोड़ा है रत्नगिरी के पथ पे, विद्या-स्तक के आंदोलन को