Nojoto: Largest Storytelling Platform

हलात-ए-दौर से मजबूर हूँ मेहनत के नशे में चूर हूँ र

हलात-ए-दौर से मजबूर हूँ
मेहनत के नशे में चूर हूँ
रोजी-रोटी की जुगत में
अपनो से बड़ी दूर हूँ 
ज़िन्दगी के संविधान मे
नही लिखा करना मस्ती
मूल अधिकार बन गया है                
झेलना प्रकृति की त्रासदी

जीता हूँ आभासी हँसी की 
बेबस भरी ज़िन्दगानी
खुद में खोये रहने की है 
सादगी भरी मेरी कहानी
फ़टे-मलीन कपड़ो में
सिमट जाती है मेरी हस्ती
घास-फूस के घरों में
बास करती है मेरी कस्ती

हटते नही निशान मेरे
पाव में पड़े छालो के
जवानी में ही बूढ़ा बना
देती है झुर्रियां गालों के
बयां नही कर सकती जुबां
हालात है कितना मर्मस्पर्शी
जीने का दायरा है सिमटा
भला कैसे हो सकता दूरदर्शी

©आशुतोष यादव #world_labour_day 

#WForWriters #poetryunplugged 
#commonman  ..SShikha.. Priya Gour Harlal Mahato Priya dubey Anshu writer
हलात-ए-दौर से मजबूर हूँ
मेहनत के नशे में चूर हूँ
रोजी-रोटी की जुगत में
अपनो से बड़ी दूर हूँ 
ज़िन्दगी के संविधान मे
नही लिखा करना मस्ती
मूल अधिकार बन गया है                
झेलना प्रकृति की त्रासदी

जीता हूँ आभासी हँसी की 
बेबस भरी ज़िन्दगानी
खुद में खोये रहने की है 
सादगी भरी मेरी कहानी
फ़टे-मलीन कपड़ो में
सिमट जाती है मेरी हस्ती
घास-फूस के घरों में
बास करती है मेरी कस्ती

हटते नही निशान मेरे
पाव में पड़े छालो के
जवानी में ही बूढ़ा बना
देती है झुर्रियां गालों के
बयां नही कर सकती जुबां
हालात है कितना मर्मस्पर्शी
जीने का दायरा है सिमटा
भला कैसे हो सकता दूरदर्शी

©आशुतोष यादव #world_labour_day 

#WForWriters #poetryunplugged 
#commonman  ..SShikha.. Priya Gour Harlal Mahato Priya dubey Anshu writer