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वक्त बेवक्त कभी भी याद आ जाती हूं । किसी का दर्द त

वक्त बेवक्त कभी भी याद आ जाती हूं ।
किसी का दर्द तो थके हुए की थकान मिटाती हूं ।
लोग मुझे चाय कहते है । 
अक्सर इसी जर्मन की केतली में
 उस ठेले वाले छोटू के हाथ में नजर आती हूं ।
कोई मुझे पीने के बहाने  ठेले तक घूम आता है 
, तो कोई  मुझे दफ्तर में बैठे 3 बजने पर आवाज लगाता है ।
कभी कभी लेट होने पर कोई मुझे 2 बात भी सुनाता है ।
मालूम है मैं आयुर्वेद की नजर में, मैं जहर हूं । 
फिर भी कुछ लोग थकान और सर दर्द का इलाज मुझे बताते है।
मैं चाय हूं साहब ।
अक्सर इसी जर्मन की केतली में
 उस ठेले वाले छोटू के हाथ में नजर आती हूं ।
@dear_diary_writer #river #nojot #writer #Kabi Write_The_Feelings POETIC PRISM - Open Mic
वक्त बेवक्त कभी भी याद आ जाती हूं ।
किसी का दर्द तो थके हुए की थकान मिटाती हूं ।
लोग मुझे चाय कहते है । 
अक्सर इसी जर्मन की केतली में
 उस ठेले वाले छोटू के हाथ में नजर आती हूं ।
कोई मुझे पीने के बहाने  ठेले तक घूम आता है 
, तो कोई  मुझे दफ्तर में बैठे 3 बजने पर आवाज लगाता है ।
कभी कभी लेट होने पर कोई मुझे 2 बात भी सुनाता है ।
मालूम है मैं आयुर्वेद की नजर में, मैं जहर हूं । 
फिर भी कुछ लोग थकान और सर दर्द का इलाज मुझे बताते है।
मैं चाय हूं साहब ।
अक्सर इसी जर्मन की केतली में
 उस ठेले वाले छोटू के हाथ में नजर आती हूं ।
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deardiary6275

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