वक्त बेवक्त कभी भी याद आ जाती हूं । किसी का दर्द तो थके हुए की थकान मिटाती हूं । लोग मुझे चाय कहते है । अक्सर इसी जर्मन की केतली में उस ठेले वाले छोटू के हाथ में नजर आती हूं । कोई मुझे पीने के बहाने ठेले तक घूम आता है , तो कोई मुझे दफ्तर में बैठे 3 बजने पर आवाज लगाता है । कभी कभी लेट होने पर कोई मुझे 2 बात भी सुनाता है । मालूम है मैं आयुर्वेद की नजर में, मैं जहर हूं । फिर भी कुछ लोग थकान और सर दर्द का इलाज मुझे बताते है। मैं चाय हूं साहब । अक्सर इसी जर्मन की केतली में उस ठेले वाले छोटू के हाथ में नजर आती हूं । @dear_diary_writer #river #nojot #writer #Kabi