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बात होती थी तो रूह खिलती थी, वो अलग है कि अब विचार

बात होती थी तो रूह खिलती थी,
वो अलग है कि अब विचार नहीं मिलते,
तुम्हे क्यूं ढोना है ये बोझ मेरे होते,
बात समझो यार आजकल गमों के खरीदार नहीं मिलते,
वकालत मोहब्बत की तो हम भी कर ही रहे थे,
पर तेरी बस्ती में यार लोग समझदार नहीं मिलते,
कैसा गुस्सा, कैसी बात, कैसी नाराजगी,
हजार छोडो मेरे जैसे क्या अब दो-चार भी नहीं मिलते...???
खो दिया ना मुझे पिछली बाते हैं भूल जाओ,
विराट हम यूं ही यार किसी को बार-बार नहीं मिलते...!!!

©Virat Tomar #mainaurtum #विराट #मोहब्बत