मूल तत्व -------शेष इत्र भले प्रयोग कर रहे, मिट्टी की खुशबू मत त्यागो, प्रतिष्ठा की आग में जलकर, जीवन की सिद्धि मत त्यागो। क्या सिद्धि है इस जीवन की, ये भी तुमको बतलाता हूँ, स्वर्ण भले महँगा हो लेकिन, मै अब भी रोटी खाता हूँ। स्वयं बनो, मत स्वांग करो, जो वो करता है, करने दो, चकाचौंध में भले रहो पर, मूल तत्व को मत मरने दो। शेष..... ✍️कपिल वीरसिंह 9259242665 ©Kapil Tomer मूल तत्व