➖️➖️✏️✏️ग़ज़ल ✏️✏️➖️➖️ 💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘 मनाता हूं नहीं मनता मनाने से कहीं भी दिल नहीं लगता लगाने से ----*----*----*---- समझ कुछ भी नहीं आता कहां जाऊं भटकता फिर रहा हूं मैं जमाने से ----*----*---*----- मुझे तुम और ज्यादा याद आते हो नहीं भूला कभी भी दिल भुलाने से ----*----*----*---- कहेगा फिर जमाना बेवफा तुमको लगे हैं डर गमें दिल को सुनाने से ----*----*----*---- मेरा सब कुछ जलाकर खाक कर डाला लगी दिल की नहीं बुझती बुझाने से ----*----*----*----- तसल्ली दिल को ज़र्रा भर मिले अकरम कभी ख्वाबों में आ जाना बहाने से ----*----*----*----- ➖️Shayer Akram Tyagi ©Akram Tyagi The Poet #Akramtyagishayri #ग़ज़ल #sadShayari