"हताश" चार दिवारी में कैद है मानुष उजाले की उसे तलाश है खिड़की से बाहर देख नज़ारा मानुष हुआ हताश है कर जोड़े वो मांग रहा ईश्वर से फिर आकाश है भूल हमारी माफ करो बस तुम ही पर विश्वास है है जीवन रेखा हाथों में फिर जीवन का क्यों परिहास है खिड़की से बाहर देख नज़ारा मानुष हुआ हताश है हताश जीवन का कड़वा सच, चार दिवारी में कैद मनुष्य आखिर ईश्वर से क्या मांग सकता है । माफी अपने दुष्कर्मो की। #nojotohindi #lockdownstories #meristory #hindipoetry #hindikavi #CTL #WOD #hands #vichar #kahani