मिजाज समझ ही नहीं मैं पाया कभी लोगों का इस दुनियादारी में भी छिपी स्वार्थ की पर्देदारी है यहां भीड़ में वही ठगा सा महसूस करता है साहब जिस ने निभाई योगी हर किसी से दिल से यारी है ©vk Yogi ji @#Yogi_ke_Alfaaz.. #Books