दर्द का मजा तब आता है जब वो जान पे बन जाता है सहना मुश्किल हो जाता है और इलाज उसका मिल नही पाता है, वो हद से गुजर जाता है ओर वो बेइम्तेहा सत्ताता है और तो और आदमी मर जाता है ..... कब तक सहेगा आदमी बेचारा आदमी मर जाता है .. फिर वो आदमी अपनो को जुदाई का दर्द/गम दे जाता है इस तरह ये दर्द कमबख्क्त बेदर्द बन जाता है -संतोष ©Mission for Passion to change to INDIA searching producer for films project marathi film #Wish