मैं कुछ पंक्तियाँ लिखने बैठा हूँ और वह है कि खुली केश-पंक्तियों के मध्य एक कविता सी मेरे सामने बैठी है। मैं हाथ में कलम लिए आगे की पंक्तियाँ सोंचने लगता हूँ और वह मुझे देखकर मुस्कुराने लगती है। अचानक ही वह मेरे हाथ से कलम छीन लेती है और फ़िर अपने बालों का जूड़ा बनाकर उसमें खोंस लेती है। अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि उससे कलम लेकर अपनी रचना पूरी करूँ या फ़िर प्रकृति की उस जीवंत रचना के दर्शन करता रहूँ। दर्शन #vks #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #yqgudiya