हर बार होता मानसिकता का ये कुठार, काला रंग कुरूपता को दर्शाता है , रंग श्वेत ही शोभायमान हो जाता है, सब रंग का अपना महत्व है, काले के बिना कहां श्वेत का अस्तित्व है, श्वेत रंग तो अपने में अदृश्य है, विंभिन्न रंगो में दिखता विभिन्न दृश्य है, विभिन्न रंग में तो ईश्वर भी बस्ते है, बिन भेद भाव के हम उन्हें भी तो पूजते है, फिर क्यों मानव ने ये भेद भाव कर दिया, रंग श्वेत को महत्व दे कर अश्वेत को नकार दिया, ये रंग भेद - भाव का बाण मन को भेद जाता है, सामना कर वह व्यक्ति का मन निसहाय सा हो जाता है, ये रंग - भेद भाव को समाप्त कर दो तुम, प्रकृति के इस सुंदर कला को ना नकारो तुम।। _Sandhya Kanojiya #thoughts #colourdiversity #feelings #hearttouchingthought