सुनो, क्या मेरी याद तुम्हें अब भी आती है? क्या ये स्याह रातें तुम्हें अब भी डराती हैं? आगे को बढ़ जाती हो सबकुछ भूलकर या? मेरी यादें अकेले में तुम्हें अब भी सताती हैं? ज़माने के सितम ने छिन ली तुम्हारी मासूमियत या किसी की बेबसी तुम्हें अब भी रुलाती है? अब भी टहलते हो क्या उस बाग में जाना? क्या वो शबनम तुम्हें अब भी भिगाती है? तुम्हारी सहेलियाँ सारी मुझे "पागल" समझती हैं? या मेरा नाम ले लेकर तुम्हें अब भी चिढ़ाती हैं? सुनो, क्या मेरी याद तुम्हें अब भी आती है? ईजाज़ अहमद "पागल" #ejaz #pagal #YQdidi #shayari #YQghalib #hindi #missyou