पत्रकार झूठी बातो को तुम कितनी पनाह देते हो बुझी हुई राख़ को तुम पुनः लकड़ी बना देते हो जिसकी जुबा से पसीना भी ना बह सके उसके होठों पर तुम समुन्दर को समां देते हो #Art #कलाम #rohin #kalmi