स्त्री प्रेम में बिखरना जानती है पुरुष प्रेम में सिमटना जानते हैं, स्त्री प्रेम सुकोमल सौंदर्यपूर्ण भावनात्मक अपने आंचल में समेटे हुए महकता हुआ गुलशन बन जाती है,,,, पुरुष प्रेम सिमटा हुआ कठोर कई परतों के नीचे दबा हुआ निष्प्राण संवेदनहीन होता है,,,, स्त्री प्रेम में खिलना जानती है बिखरना जानती है