आदतन हम ख़ामोश वहां हुए जहां कहना ज़रूरी था अधरों से निकले लफ्जों को भी सिलना ज़रूरी था कुछ को हमारी 'ख़ामोशी' से कोई फर्क़ ना पड़ा यारा किसी की साँसों को यूँही हलक मेें अटक ते देखा था #शशिकीबातें #shashisquote #बस_यूँ_ही #खामोशियां_तुम्हारी #YourQuoteAndMine Collaborating with SHASHI'S Quote निर्झर