रिश्तों के कद में जैसे धप्प से उछाल हुई, उछाल हुई और कद बढ़ा, ये बतलाऊ कैसे जाना - इक लाल कपड़े में लिपटा चिपटा मिला इक जान अनजाना कुछ रूई के गोले सा,मगर अड़हुल सा लाल हुआ जो अपने लाल का लोकन यूं तो था अस्पताल जो हंसपताल बन गहमाया था जहां हाथ जोड़े,कोना पकड़े नाथ तेरे कभी शिव कभी दुर्गा नाम जपते थे, हां और आज तक नितदिन व्हाट्सएप स्तिथि अद्यतन महाकाल भस्मारती से रगड़ते हैं वही खड़ी मातामही तेरी लद्दूगोपाल कह पुकारा था कुछ तुम भी महसूस किए और मंद ही मुस्का दिए मुझसे कुछ हुआ नहीं सो धीमे से इक तस्वीर ही खीच लिया ना-ना करते फिर शाम तक हर आमों-खास में सींच दिया., अरे फूले न समाते नाना तेरे दोस्तो में अपने कुंवर नारायण बतलाया था कहे तुम सब हो वहा भला क्या जरूरत मेरी है दो दिन भी हुआ नहीं पहुंचे दौड़े कहिन मुझे भी फुर्सत भतेरी है शाख समय का भरसक भारी था लोग कई जो न पहुंचे वो जी दबा कर मन मना कर जाने कैसे समझ गए जैसे सारे कर्म अकर्म कहीं दूर रूठ कर बैठ गए पर सुकून था और है हासिल में जो तुम मिले जो आज तक बिना चले पूरे एक बरस के हो चले #yearago #yearandnow #merikalamse #yqdidi #yqbaba #yqtales #yqhindi