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*** कविता *** *** मैं और तुम *** "मैं और तुम चा

*** कविता *** 
*** मैं और तुम *** 

"मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,
जिस्मो से रुह तक का सफर दिलचस्प होगा ,
मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,
दायरा है नजदिकियां भी है , 
बातें भी खामोशियों जाहिर है ,
यू चाहना एक-दूजे को दस्तुर होगा ,
हमारा मिलना ख़ुदा को कब मंजूर होगा , 
वेपनाह चाहत दिख जायेगा ,
हमारे जिस्मों की हाया खिल जायेंगे ,
जिस्मों से रुह तक का सफर दिलचस्प होगा ,
देखते ये सफ़र कैसे कब कहां तय करना ,
हमारे चाहतों ख्वाहिश क्या अंज़ाम देना है ,
यू तो हमसफ़र एक-दुजे के लिए ,
जाने कब- कैसे एक-दूजे को प्यार करना है ,
जिस्मों से रुह तक का सफ़र दिलचस्प होगा . "

                                             --- रबिन्द्र राम *** कविता *** 
*** मैं और तुम *** 

"मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,
जिस्मो से रुह तक का सफर दिलचस्प होगा ,
मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,
*** कविता *** 
*** मैं और तुम *** 

"मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,
जिस्मो से रुह तक का सफर दिलचस्प होगा ,
मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,
दायरा है नजदिकियां भी है , 
बातें भी खामोशियों जाहिर है ,
यू चाहना एक-दूजे को दस्तुर होगा ,
हमारा मिलना ख़ुदा को कब मंजूर होगा , 
वेपनाह चाहत दिख जायेगा ,
हमारे जिस्मों की हाया खिल जायेंगे ,
जिस्मों से रुह तक का सफर दिलचस्प होगा ,
देखते ये सफ़र कैसे कब कहां तय करना ,
हमारे चाहतों ख्वाहिश क्या अंज़ाम देना है ,
यू तो हमसफ़र एक-दुजे के लिए ,
जाने कब- कैसे एक-दूजे को प्यार करना है ,
जिस्मों से रुह तक का सफ़र दिलचस्प होगा . "

                                             --- रबिन्द्र राम *** कविता *** 
*** मैं और तुम *** 

"मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,
जिस्मो से रुह तक का सफर दिलचस्प होगा ,
मैं और तुम चाहेंगे एक-दूजे को ,
हमारी मुलाकात कभी होगी नहीं ,