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और अधिक की चिंता खाये जाती है, लालच की लहरों संग ब

और अधिक की चिंता खाये जाती है,
लालच की लहरों संग बहाये ले जाती है..!
आसमान की चाहत छोड़ों जमीं भी न नसीब होती,
बीच भंवर में ख़्वाहिशों की कश्ती डुबाये जाती है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #WoRaat #chinta