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ज़रा सा दुर क्या गए बचपन की गलियों से यारो से यरिय

ज़रा सा दुर  क्या गए बचपन की गलियों से
यारो से यरियाँ भी कम हुई ।
जो मिलतें थे हर रोज उनसे, मुलाकातें भी ज़रा कम हुई। 
दूरियाँ खमोशियों से बढते चली गई  और अब बातें भी कम हुईं ।
हम तो वक़्त से पहले ही पहुँच गये थे ऐ दोस्त।
जरूरी तुमने ना समझा पूछना ,ना हमारे आने की खबर ली। यारियाँ ....
ज़रा सा दुर  क्या गए बचपन की गलियों से
यारो से यरियाँ भी कम हुई ।
जो मिलतें थे हर रोज उनसे, मुलाकातें भी ज़रा कम हुई। 
दूरियाँ खमोशियों से बढते चली गई  और अब बातें भी कम हुईं ।
हम तो वक़्त से पहले ही पहुँच गये थे ऐ दोस्त।
जरूरी तुमने ना समझा पूछना ,ना हमारे आने की खबर ली। यारियाँ ....