जटाधारी शमशान वासी भोले भाले शिव अंतर्यामी पार्वती सुकुमारी हृदय हार गयी ऐसे फक्कड़ वासी में,,,, पार्वती का प्रेम कितना निश्चल निर्मल था शिव के भोलेपन सादगी में अपना सब कुछ समर्पित कर बैठी,, वह महलों में रहने वाली राजकुमारी वन वन में भटकते शिव से हार बैठी दिल को,, प्रकृति से कैसी भावनाएं हमारे देह में व्याप्त है