पिता! तुझ पर गहरा भरोसा बचाता है मुझे हर भरम से तुम ज़ख़ीरा हो बातों का, क़िस्सों का, तज़ुर्बों का तुझी से सीखा है मैंने दिल न हारने का हुनर # पिता! तुम ज़ख़ीरा हो बातों का, क़िस्सों का, तज़ुर्बों का