वो पुरानी अलमारी की चाभी जब नजर आती है, वो दादा जी के चश्में पर जब नजर चली जाती है, वो दादी का छोटा सा खजाने का बक्सा जिसमें से आज भी कुछ मिलेगा ये उम्मीद हो जाती है,घर की याद आती है, वो अमरूद के पेड़ की टहनियां जब हवाओं से लहलहाती हैं, वो आम की डाल पर जब वो पुरानी बचपन की छवि नजर आ जाती है, वो दोपहर को मां के झपकी लग जाते ही घर से खेलने निकल जाने की शरारत हसने की वजह दे जाती है,घर की याद आती है, वो भैया के साथ साइकिल की सैर वो चुपके से निकले थे एक रोज और कटा था मेरा पैर भैया के चेहरे की चिंता जब आज भी यादों में बिल्कुल साफ नजर आती है,घर की याद आती है, वो दीदी का स्कूल से घर आना मेरा उनके लिए ठंडा पानी पहले निकल के उनके आते ही उनके सामने खड़े हो जाना, वो मेरा उनके जूते और मोजे हमेशा उनके स्कूल से आते ही उतारना, फिर उनका चैन से पानी एक सांस में पी जाना, वो कुछ छोटे छोटे पल जो आज भी सबसे ज्यादा खुश होने की वजह दे जाती है,तो घर की याद आती है, वो पापा का सुबह सुबह उठाकर पार्क ले जाना और मुझे वहां बैठा के पढ़ाना फिर मुझे गोद में वापस लाना, और वो होमवर्क सही सही नही बनाने पर मां की जो डांट आज भी डराती है, तो बहुत से भी ज्यादा घर की याद आती है, जब आज मेरी हर कोशिश खाली सी रह जाती हैं, किसी अपने का मन दुखाकर भी जब अपनी अपनी बात ही हर किसी को सही समझ आती है,तो सच में घर की याद आती है। घर में हो के भी मुझको, घर की याद आती है!... #घरकीयाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #mywritingmywords #mywritingmythoughts Collaborating with YourQuote Didi