मन मेरा रौशन रहता है अंदर अखंड दीप जलता है, गर्व बहुत है मुझको मुझपर नाज़ करती हूँ मैं ख़ुद पर, मैं तो मुझको बहुत ही भाऊँ ख़ुद से जो मैं नैन मिलाऊँ, भीतर जो मेरे भाव भरा है वही तो आखों पर उभरा है, कहती हूँ मैं आज ख़ुद से खुश हूँ मैं मैं बनके, चाहूँ जैसे जीती हूँ वैसे चाहे कह दो तुम जैसे- तैसे, अरे.. मैं हूँ तो मैं ही बनूँगी क्यों मैं कुछ और बनूँगी..? ©Deepali Singh #mai #deepalisingh #selflove #subhdeepawali