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White नासिर काज़मी जब रात गए तिरी याद आई सौ तरह

White 
नासिर काज़मी

जब रात गए तिरी याद आई सौ तरह से जी को बहलाया
कभी अपने ही दिल से बातें कीं कभी तेरी याद को समझाया

यूँही वक़्त गँवाया मोती सा यूँही उम्र गँवाई सोना सी
सच कहते हो तुम हम-सुख़नो इस इश्क़ में हम ने क्या पाया

जब पहले-पहल तुझे देखा था दिल कितने ज़ोर से धड़का था
वो लहर न फिर दिल में जागी वो वक़्त न लौट के फिर आया

फिर आज तिरे दरवाज़े पर बड़ी देर के बा'द गया था मगर
इक बात अचानक याद आई मैं बाहर ही से लौट आया

©आगाज़ #good_night  DASHARATH RANKAWAT SHAKTI  aditi the writer
White 
नासिर काज़मी

जब रात गए तिरी याद आई सौ तरह से जी को बहलाया
कभी अपने ही दिल से बातें कीं कभी तेरी याद को समझाया

यूँही वक़्त गँवाया मोती सा यूँही उम्र गँवाई सोना सी
सच कहते हो तुम हम-सुख़नो इस इश्क़ में हम ने क्या पाया

जब पहले-पहल तुझे देखा था दिल कितने ज़ोर से धड़का था
वो लहर न फिर दिल में जागी वो वक़्त न लौट के फिर आया

फिर आज तिरे दरवाज़े पर बड़ी देर के बा'द गया था मगर
इक बात अचानक याद आई मैं बाहर ही से लौट आया

©आगाज़ #good_night  DASHARATH RANKAWAT SHAKTI  aditi the writer
shraddhashrotriy5332

आगाज़

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