White नासिर काज़मी जब रात गए तिरी याद आई सौ तरह से जी को बहलाया कभी अपने ही दिल से बातें कीं कभी तेरी याद को समझाया यूँही वक़्त गँवाया मोती सा यूँही उम्र गँवाई सोना सी सच कहते हो तुम हम-सुख़नो इस इश्क़ में हम ने क्या पाया जब पहले-पहल तुझे देखा था दिल कितने ज़ोर से धड़का था वो लहर न फिर दिल में जागी वो वक़्त न लौट के फिर आया फिर आज तिरे दरवाज़े पर बड़ी देर के बा'द गया था मगर इक बात अचानक याद आई मैं बाहर ही से लौट आया ©आगाज़ #good_night