मिजाज़ रखिए तो गुलाब सा ही राखिए🌹 ना ज्यादा गर्म और ना सर्द ज़्यादा, मिजाज़ रखिए तो बस गुनगुना सा, कानों से तो सुनते रहिए बातें सबकी, कोई ना समझे रह गया अनसुना सा, सुनिए तो अपने दिल की बात सुनिए, दिल न रह जाए कहीं अपना अन्मना सा, मिजाज़ रखिए तो गुलाब सा ही राखिए, कांटो के बीच भी मुस्कराए जो गुनगुना सा।।