हार नहीं स्वीकार, हो सूरत कोई भी जान लो। कुछ भी असंभव नहीं, अगर मन में ठान लो।। तुम हो सूर्य सम प्रकाश, घने तम में हो उजास विफल हुए तो क्या, रखो आस मत हो निराश। लक्ष्य संधानों पर बस तुम नयनों को स्थिर रखो मुश्किलें सब मिथक हैं, परम सत्य का भान लो।। दूसरों का साथ यूँ हैं, कि जैसे हो कोई परछाई जो अँधेरों में नहीं, बस उजालों में ही संग आई। सुख में संगत सब करे, दुःख में दिखे नहीं कोई जंग ये तुम्हें हैं लड़नी, निज सम्यक पहचान लो।। हैं कोई तो बतला दो, बिना चलें जो पहुँच गये चल के देखो कुछ पद, राह देख क्यूँ रूक गये। शायद राहें सरल हो, मंजिल तक के गमन की बहुत हुई लापरवाही, अब धार तुम अपदान लो।। हार नहीं स्वीकार, हो सूरत कोई भी जान लो। कुछ भी असंभव नहीं, अगर मन में ठान लो।। #Mypoetry149 #HaarNhiSwikaar #हार#नहीं#स्वीकार