मैं तुम्हें सिखाऊंगा जीवन कैसे जीना है हर मुश्किल से बचाऊँगा लड़ना और फिर जीत जाना अनुभव की तिजोरी अपनी मैं तुमपे लुटाऊँगा सच्चाई और जीत की मिशाल तुम्हें बनाऊंगा तुम हारोगे नहीं कभी भूल पे हर एक तुम्हारी मैं डाटूंगा समझाऊँगा हाँ खुद से भी उलझा के तुमको बेहतर मैं बनाऊंगा बहुत रोया हूँ हारा भी टूटा भी वक्त का मारा भी हूँ बाप हूँ तेरा बेटा मैं किस्मत तेरी बनाऊंगा मैं तुमको सिखाऊंगा। हर्षिता श्रीवास्तव प्रयागराज स्वरचित Father and son