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लिख रही हूँ मैं आजकल ऐसे, हर तहरीर आख़िरी हो जैसे।

लिख रही हूँ मैं आजकल ऐसे, हर तहरीर आख़िरी हो जैसे।
कर रही हूँ जज़्बात भी बयाँ ऐसे, हर बात आख़िरी हो जैसे।

इतना समझाने के बाद भी दिल होता जा रहा ख़ुदगर्ज़ बड़ा,
धड़कन कर रही भाग-दौड़ ऐसे, हर साँस आख़िरी हो जैसे।

मुस्कुराते चेहरों में देख रही हूँ मैं अपनी ख़ुशियों का आईना,
छुपा के ग़म, बाँट रही ख़ुशी ऐसे, हर पल आख़िरी हो जैसे।

छोटी सी ज़िन्दगी में, क्या-क्या समेट साथ ले जायेगा कोई,
क़तरा-क़तरा संभाल रही हूँ ऐसे, हर बार आख़िरी हो जैसे।

सिक्कों की खनक से ज़्यादा, है सबकी ख़ुशी में राहत 'धुन', 
सँवार देना उन्हें इन्द्रधनुषी रंगों से, हर रंग आख़िरी हो जैसे। रमज़ान 25वाँ दिन
#रमज़ान_कोराकाग़ज़
लिख रही हूँ मैं आजकल ऐसे, हर तहरीर आख़िरी हो जैसे।
कर रही हूँ जज़्बात भी बयाँ ऐसे, हर बात आख़िरी हो जैसे।

इतना समझाने के बाद भी दिल होता जा रहा ख़ुदगर्ज़ बड़ा,
धड़कन कर रही भाग-दौड़ ऐसे, हर साँस आख़िरी हो जैसे।

मुस्कुराते चेहरों में देख रही हूँ मैं अपनी ख़ुशियों का आईना,
छुपा के ग़म, बाँट रही ख़ुशी ऐसे, हर पल आख़िरी हो जैसे।

छोटी सी ज़िन्दगी में, क्या-क्या समेट साथ ले जायेगा कोई,
क़तरा-क़तरा संभाल रही हूँ ऐसे, हर बार आख़िरी हो जैसे।

सिक्कों की खनक से ज़्यादा, है सबकी ख़ुशी में राहत 'धुन', 
सँवार देना उन्हें इन्द्रधनुषी रंगों से, हर रंग आख़िरी हो जैसे। रमज़ान 25वाँ दिन
#रमज़ान_कोराकाग़ज़