"कोई कहता है ख़ुदा के इबादतगाह में हुआ .. कोई कहता है भगवन के दरबार में... कोई कह रहा था दोनों सो रहे थे । अरे शर्म करो जाहिलो असल में तो तुम्हारे अंदर का इंसान सो रहा था । " { read in caption} कुछ लोग आसिफा पे चुप थे तो कुछ गीता पे .. टूट गयी हिन्द की मालाएँ... भेड़िये फ़िर भी मौन थे ! 😐😐 हिन्दू-मुस्लिम की राजनीती में सब कुछ भूल गए । फिर बताओ हुमायूं-कर्मावती कौन थे । ना हिंदुओ से ख़तरा है ना मुसलमानों से ..