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रात बारह का जब वक़्त होता है सिरहाने, तकिए पर एक वि

रात बारह का जब वक़्त होता है
सिरहाने, तकिए पर एक विचार
सख्त होता है...
जब भूख बढ़ जाती है तो
पत्थर पच जाए, हाज़मा  
ऐसा कमबख्त होता है।
ऊंची मीनार पर उल्लू रोता है
फूस का छप्पर धोखा है
पर आजतक वो छत नहीं मिली
जिसपर शांतिदूत कबूतर बैठा है!
कुछ नशा है, लोग कहते हैं,
कुछ दवा है, मानो न मानो
थरूर को पर्वत भी दिखते हैं पर
साथ ही उसकी नजरों के आगे कुआं है,
तुम तौलते हो क्या मुहब्बत को,
भाई इस आसमान तले ये जुआ है।
ये दिल दिमाग के झगड़े हैं,
वरना मार्क्स कौन और कौन माओ मुआ है!
 #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqcollab 
www.amazon.com/author/harshranjan
रात बारह का जब वक़्त होता है
सिरहाने, तकिए पर एक विचार
सख्त होता है...
जब भूख बढ़ जाती है तो
पत्थर पच जाए, हाज़मा  
ऐसा कमबख्त होता है।
ऊंची मीनार पर उल्लू रोता है
फूस का छप्पर धोखा है
पर आजतक वो छत नहीं मिली
जिसपर शांतिदूत कबूतर बैठा है!
कुछ नशा है, लोग कहते हैं,
कुछ दवा है, मानो न मानो
थरूर को पर्वत भी दिखते हैं पर
साथ ही उसकी नजरों के आगे कुआं है,
तुम तौलते हो क्या मुहब्बत को,
भाई इस आसमान तले ये जुआ है।
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