नज़रों में लिख बैठा हूं, फिर क्यों इज़हार करूं मान लूं कि तू गैर है, या थोड़ा और इंतजार करूं कुबूल है तो बता दे ज़ाना, वर्ना अब एक-तरफा प्यार करूं। ©Ambesh Baba's creation #celebration अमित