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नज़रों में लिख बैठा हूं, फिर क्यों इज़हार करूं मा

नज़रों में लिख बैठा हूं,
फिर क्यों इज़हार करूं

मान लूं कि तू गैर है,
या थोड़ा और इंतजार करूं

कुबूल है तो बता दे ज़ाना,
वर्ना अब  एक-तरफा प्यार करूं।

©Ambesh Baba's creation #celebration अमित Author shivam kumar mishra Ajay Sharma
नज़रों में लिख बैठा हूं,
फिर क्यों इज़हार करूं

मान लूं कि तू गैर है,
या थोड़ा और इंतजार करूं

कुबूल है तो बता दे ज़ाना,
वर्ना अब  एक-तरफा प्यार करूं।

©Ambesh Baba's creation #celebration अमित Author shivam kumar mishra Ajay Sharma