आजकल के इश्क़ सा नहीं, हम तुमसे अस्सी के दशक का इश्क़ फरमाएंगे जब चांदी सी उगने लगेगी बालों पे झुर्रियां सजने लगेंगी तेरे चेहरे पे प्रकृति छाप छोड़ जाएगी तुझपे और आईने में गैर लगने लगेगी, तुम खुद को तब भी, तेरे पैरों को थाम पायल हम पहनाएंगे जैसे संवरती थी, यौवन में तू तुझे वैसे ही समझाएंगे जहां हुई आंखे चार पहली दफा, उस लम्हे को वापस से दोहराएंगे क्योंकि रंगत के मोहताज नहीं हम, इश्क़ तो हमने तेरी रूह से फ़रमाया है, रूह से निभाएंगे हम तुझसे अस्सी के दशक का इश्क़ फरमाएंगे,,, #80slove #writercommunity #love #lovepoem