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उनसे बिछड़ा तो कहीं जाकर मुझे एहसास हुआ। बेवफ़ा ते

उनसे बिछड़ा तो कहीं जाकर मुझे एहसास हुआ।
बेवफ़ा तेरी बाहों में ही सुकून मुझे मिलता था ।।
आज जब देखा यूं ही कही बिरहन को।
नज़रे जो टिकी तो बस टिकी ही रही ।।
हाल जब उसका बुरा देखा तो मुझे याद हुआ।
मेरी मुस्कान से बस उसका भी चेहरा चहक जाता था।।

#सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज

©poetsujeet