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यूँ तो हूं सूरज मैं पर क्या है पता तुम्हें सिर्फ म

यूँ तो हूं सूरज मैं
पर क्या है पता तुम्हें
सिर्फ मिलने रात से
जलता हूं दिन भर मैं ..

थक कर टांगता हूं 
जैसे ही शाम को खूंटी पर 
मिलन की आस में खुद
को कर लेता हूं कंगाल
पर हो जाता हूं मालामाल..!

चन्द्रमा को दे जाता हूं
मैं अपने प्यार की सौगात 
अपनी नींद कहीं तो 
ख्वाब व तारों की बारात ..!

©Sunita Sharma
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