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कितनी भी सीधी सड़क हो एक मोड़ आ ही जाता है टूटते

कितनी भी सीधी सड़क हो 
एक मोड़  आ ही जाता है
टूटते बिखरते हैं  हजार दफा
हर ख्वाब यहां
समय के साथ 
आखिरी में संभलना  आ ही जाता है

समय की धारा में 
सबको बहना पड़ता है
नाज़ुक रिश्तों की डोर में भी 
एक विश्वास आ ही जाता है 

सूर्य  चंद्रमा का मिलन हो नहीं सकता
पर हर शाम उन्हें भी
 एक दूसरे से हो कर गुजरना पड़ता 
कितनी भी सीधी.............

©Kandari.Ak
  #समय_की_धारा_में_बहना_पड़ता_है
😊😊😊😊😊😊