मेरे हमराह, हमनफस तू इतनी बेगैरत तो हो कि हर दफा, हर पहर तेरी नफस में मेरा नाम आए हम गोते लगाएं, डूबे नहाएं फिर वो वक़्त आए जहां वक़्त तो हो वक़्ते रुख्सत न हो इस इनायत भरी वादियों में मौजए तबस्सुम हर हाशिए पर मौजूद हो और मौजूदफ़िलखारिज वफा हो यहां इश्क हर पहर प्यार हर दफा हो। मेरे #हमराह, #हमनफस (साथी/मित्र) तू इतनी बेगैरत (निर्लज्ज/जो स्वाभिमानी न हो) तो हो कि हर दफा, हर पहर तेरी #नफस (सांस/अस्तित्व) में मेरा नाम आए हम गोते लगाएं, डूबे नहाएं फिर वो #वक़्त आए जहां वक़्त तो हो #वक़्ते_रुख्सत (विदा होते समय) न हो इस इनायत(कृपा/दया/मेहरबानी) भरी वादियों में