बेदर्द ये रातें और हिज्र के मौसम खुद पर खामोशी से मनाते हैं मातम दिल में उठा अभी आंसू के तूफां नजरों के रहगुजर में आया है सावन बस्ती में कहीं पर निशां नहीं तेरा हम ढूंढ़ रहे हैं कबसे तेरा आंगन जो पल गुजारे हमने तेरी याद में हर पल मिला है तेरे दर्द का दामन #सावन_आया_झूम_के #nojoto