चांदनी छत पे चल रही होगी अब अकेली टहल रही होगी फिर मेरा ज़िक्र आ गया होगा बर्फ़-सी वो पिघल रही होगी कल का सपना बहुत सुहाना था ये उदासी न कल रही होगी सोचता हूँ कि बंद कमरे में एक शमअ-सी जल रही होगी तेरे गहनों सी खनखनाती थी बाजरे की फ़सल रही होगी जिन हवाओं ने तुझ को दुलराया उन में मेरी ग़ज़ल रही होगी dusyant kumar #hindinojoto #dusyantkumar #prempujari #unlimitedpart #kavi #indian Dreamy Shahjahan(Youtuber)