तेरौ प्रेम-पाश रहै सदा आसपास चाहूँ, चाहति नहीं हूँ होऊँ नेंक मशहूर मैं। कहत दुलारी वृषभानु की कनाईं से यों सुनि मीठी तान भई हाज़िर हजूर मैं। छोड़ि लोकलाज सुखसाज ब्रजराज आयी तेरे पहँ आज हुई ऐसी मजबूर मैं।। देखत सरूप वाह! कहै परेशान आह! याही तौ लुभानी छवि पै हूँ मगरूर मैं।। ✍️परेशान✍️ ©Jitendra Singh #radhamadhav #radhamanohar #radhakrishn #kishorishyam