#महिला_दिवस हम से बड़ी है आयु, कैसे मिली प्राण-वायु, चेतना के यह स्नायु, सौंपती है औरतें, कर के तमस बैन, लड़ती है हर रैन, घर में खुशी व चैन, रोपती है औरतें, बन कर गृह-भौर, दिन भर हर ओर, दुख पर सुख दौर, थोपती है औरतें, माता के जैसा दुलार, बहना सी तकरार, प्राण-प्रिया बन यार, ओपती है औरतें। #चारण_गोविन्द #CharanGovindG #चारण_गोविन्द #govindkesher #womansDay #महिलादिवस