बचपन और पिटाई याद है आता मुझे वो बचपन का जमाना माँ की रखी माखन मिश्री का चुराना, जो जान जाए माँ तो चुपके से दरवाजे के पीछे छिप जाना, जो पा जाए माँ तो उसकी बेलन मार खाना..! याद है आता वो..... अब दिल तो चाहे फिर उस बचपन में जाना, जिसमे होती थी शरारतें और मार भी खाना, अब तो नहीं होता है सपने में भी जाना, बड़े होकर लगता है वो बस एक दौर-जमाना..! याद है आता वो बचपन... बड़े होकर तो बस अब है पैसे कमाना, छूट गया बचपन का वो खेल खिलौना, याद है आता वो बचपन..... -Dipanshu– #बचपन #पिटाई #QandA ^√Ghost¥writer^™