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हर इक आँसू हँसकर पीना पड़ता है। ज़ख्मों को भी ख़ुद ही

हर इक आँसू हँसकर पीना पड़ता है।
ज़ख्मों को भी ख़ुद ही सीना पड़ता है।
शेरों में तो बाद में ढाले जाते हैं,,
एहसासों को पहले जीना पड़ता है।

©Kavi Sachin Shashvat
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